‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’। हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों को सत्य साबित किया है बरांव गांव की नौ वर्षीय बिटिया वंदना कुमारी ने। दो वर्ष पूर्व मशीन की चपेट में आने से दोनों हाथ उखड़ गए तो उसने पैरों को ही हाथ बना लिया। दुर्घटना के पांच महीने बाद ही पैरों से लिखना, पढ़ना और घर का सारा काम करना शुरू कर दिया...
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